युवा बने रहने के स्वर्णिम सूत्र


1. रात में जल्दी सोएं एवं सुबह जल्दी उठें। सदा युवा रहने की आकांक्षा वालों को रात में 9-10 बजे अवश्य सो जाना चाहिये। प्रातः 4-5 बजे जाग जाना चाहिये। स्वप्न दोष के रोगी यह जानते हैं कि स्वप्नदोष रात्रि में होने के बजाय सुबह 4 बजे के बाद ही अधिकतर होता है। अतः ऐसे लोग सुबह 4 बजे उठ जाएं तो स्वप्नदोष नहीं होगा।

2. प्रातः बिस्तर छोड़ने के बाद कुल्ला करके शौच जाने से पहले एक गिलास पानी पीना चाहिये। इससे पेट साफ होता है तथा पेट के रोग भी नहीं होते हैं। इसमें नीम्बू का रस तथा एक चम्मच शहद मिला लें तो और अच्छा है ।

3. जो लोग शरीर-श्रम नहीं करते हैं, उन्हें सुबह-शाम खुली हवा में आधा-एक घण्टा टहलना चाहिए। सदा स्वस्थ रहने के लिए टहलना आवश्यक है।

4. प्रतिदिन दोनों समय (सुबह-शाम) शौच के लिए नियत समय पर जाना चाहिए। शौच की हाजत महसूस हो या न हो। शौच जाते समय जोर नहीं लगाना चाहिए।

5. सुबह उठने के बाद तथा रात में सोने से पहले दांतों को अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए, ऐसा करने से दांत मजबूत रहते हैं तथा दन्तरोग नहीं होते हैं। पर दांतों को साफ करने के लिए कभी कठोर ब्रश का उपयोग नहीं करना चाहिए। दांतों को साफ करने के लिए दो मिनिट ब्रश करना पर्याप्त है।

6. शीतकाल में सुबह स्नान के पूर्व धूप में खड़े होकर समूचे शरीर पर सरसों का तेल मलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इससे त्वचा को चिकनाई प्राप्त होती है तथा शरीर को विटामिन "डी' प्राप्त होता है, जो हड्डियॉं मजबूत करता है।

7. प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। स्नान से शरीर की बाहरी गन्दगी तो दूर होती ही है, थकावट भी दूर होती है तथा मन में प्रसन्नता आती है। अगर दोनों वक्त (सुबह-शाम) स्नान करना सम्भव न हो, तो सुबह शौचादि कर्मों से निवृत्त होकर नाश्ते या भोजन से पहले स्नान कर लेना चाहिए।

8. नाश्ता, भोजन आदि नियत समय पर लें। जैसे सुबह का नाश्ता 7-8 बजे, दोपहर का भोजन 12-1 बजे, शाम का अल्पाहार 4-5 बजे, रात का भोजन 7-8 बजे।

9. नाश्ते या भोजन के तुरन्त पहले या तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए। हॉं, बीच में थोड़ा पानी पिया जा सकता है

10. एक-एक गिलास करके रोज कम से कम 7-8 गिलास पानी पीना चाहिए। जो लोग कम पानी पीते हैं उन्हें अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है। पानी स्वास्थ के लिए आवश्यक है।

11. भोजन खूब चबाकर खाना चाहिये। दांतों का काम आंतों को न करना पड़े। भोजन को इतना चबाएं कि तरल हो जाए।

12. सुबह के नाश्ते में अंकुरित अनाज (गेहूँ, चना, मूंग) लेना चाहिए। इसमें भिगोये हुए मूंगफली के दाने मनुक्का मिला सकते हैं। इससे शरीर को भरपूर पोषण प्राप्त होता है।

13. दोपहर-शाम के भोजन में चावल-रोटी-कम, लेकिन सब्जी अधिक लेना चाहिए। थोड़ा सलाद भी अवश्य लेना चाहिए।

14. शाम के अल्पाहार में कोई एक फल या रस लेना चाहिए। मौसम के सभी फल अच्छे होते हैं। अतः जिस मौसम में जो फल मिले उसे लें। जैसे-अमरूद, सेव, केला, पपीता, सन्तरा, अनार आदि। फलों का रस (जूस) भी लिया जा सकता है।

15. हमेशा भूख से कम ही खाएं। यह नहीं कि भोजन स्वादिष्ट है तो पेट भरकर खा लिया जाए। पेट का कुछ हिस्सा हवा-पानी के लिए खाली छोड़ना चाहिए।

16. आंवला, गाजर स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं। आंवला विटामिन "सी' का भण्डार है। गाजर में विटामिन "ए' प्रचुर मात्रा में रहता है। आंवलों का सेवन कच्चे चबाकर या चटनी या मुरब्बा बनाकर करना चाहिए। नित्य एक-दो आंवले किसी न किसी रूप में खाना चाहिये। उसी तरह पूरे मौसम गाजर का रस या गाजर का हलवा खाना चाहिए।

17. दूध अमृत है। अतः दूध का सेवन अवश्य करना चाहिए। दूध तुरन्त का दुहा या गर्म करके ठण्डा किया हुआ पीना चाहिए। रोज कम से कम एक पाव 250 ग्राम दूध जरूर पीना चाहिए।

18. शाकाहार सर्वोत्तम आहार है। लम्बी आयु और चिर यौवन की अभिलाषा रखने वालों को शाकाहार ही ग्रहण करना चाहिए